[10] हदीस ए कुदसी || रोजे की अहमियत

 

[10] हदीस ए कुदसी | रोजे की अहमियत

सहीह

अरबी:-

عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ، عَنْ النَّبِيِّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ:

يَقُولُ اللَّهُ عَزَّ وَجَلَّ: الصَّوْمُ لِي، وَأَنَا أَجْزِي بِهِ، يَدَعُ شَهْوَتَهُ وَأَكْلَهُ وَشُرْبَهُ مِنْ أَجْلِي، وَالصَّوْمُ جُنَّةٌ(1)، وَلِلصَّائِمِ فَرْحَتَانِ: فَرْحَةٌ حِينَ يُفْطِرُ، وَفَرْحَةٌ حِينَ يَلْقَى رَبَّهُ، وَلَخُلُوفُ(2) فَمِ الصَّائِمِ أَطْيَبُ عِنْدَ اللَّهِ مِنْ رِيحِ الْمِسْكِ"

رواه البخاري (وكذلك مسلم ومالك والترمذي النسائي وابن ماجه)

हिंदी:-

अबू हुरैरा(रज़िअल्लाहु अन्हु) ने बयान किया कि रसूल अल्लाह(सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया:

अल्लाह (सुब्हानहु व तआला) कहते हैं: रोज़ा मेरे लिए है और इसका इनाम भी मैं ही दूंगा। एक बंदा या बंदी अपने यौन जुनून(शेहवत), अपने खाने पीने को मेरी खातिर छोड़ देता है। और रोजा एक ढाल है और जो रोज़ा रखता है उसको लिए दो मजे हैं: एक मजा जब वह अपना रोज़ा तोड़ता है और एक मजा जब वह अपने रब से मिलता है। और रोजेदार के मुंँह से निकलने वाली गंध अल्लाह के नजदीक कस्तूरी(मुस्क) की खुशबू से बेहतर है।

यह अल-बुखारी और इसी तरह से मुस्लिम, मालिक, त्रिमिज़ी, अन नसाई और इब्न माजह ने बयान की है।


और अल्लाह बेहतर जानते हैं।

  
 

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