अस्सलामुअलैकुम मेरे भाईयो और बहनों उम्मीद करता हूंँ सब खैरियत से होंगे आज हम इस पोस्ट में जानेंगे कि नमाज मे तशह्हुद या अत्तहिय्यात की दुआ और उसका तरीका क्या है।
तशह्हुद या अत्तहिय्यात क्या है?
तशह्हुद का मतलब होता है 'गवाही देना (ईमान की)' और इसे अत्तहिय्यात भी कहा जाता है।
नमाज में जब एक बंदा या बंदी दूसरी या आखरी रकात में किबला(पश्चिम) की तरफ रुख कर कर बैठता है और अल्लाह की बडाई बयान करता है और अल्लाह केे नबी और उसके नेकबंदो पर सलात व सलाम भेजता है और दो गवाहियाँ देता है, वही तशह्हुद या अत्तहिय्यात कहलाता है।
अत्तहिय्यात या तशह्हुद की दुआ
अरबी-
التَّحِيَّاتُ لِلّٰهِ، وَالصَّلَوْاتُ، وَالطَّيِّباتُ، السَّلاَمُ عَلَيْكَ أَيُّهَا النَّبِيُّ وَرَحْمَةُ اللّٰهِ وَبَرَكَاتُهُ، السَّلاَمُ عَلَيْنَا وَعَلَى عِبَادِ اللّٰهِ الصَّالِحِيْنَ، أَشْهَدُ أَنْ لاَ إِلَهَ إِلاَّ اللّٰهُ وَأَشْهَدُ أَنَّ مُحَمَّداً عَبْدُهُ وَرَسُوْلُهُ
अत्तहिय्यातु लिल्लाहि वस्सलावातु, वत्त्तय्यिबातु, अस्सलामु 'अलैका' अय्युहं-नबिय्यु व रहमतुल्लाहि व बरकातुहू, अस्सलामु 'अलेना व 'अला 'इबदिल्लाहिस-सालिहीन। 'अश-हदू 'अं-ला 'इलाहा 'इल्लल्लाहू व 'अश-हदू 'अन्ना मुहम्मदन 'अब्दुहु व रसूलुहु।
हिंदी-
सारे सलाम अल्लाह के लिए है, और सारी नमाजे और सारी अच्छाईयांँ। अमन(शांति) हो आप पर ऐ नबी, और अल्लाह की रहमतें और उनकी बरकतें। अमन(शांति) हो हम पर और अल्लाह के नेक इबादतगुजार बंदों पर। मैं गवाही देता या देती हूंँ कि अल्लाह के सिवा कोई माबूद (इबादत के लायक) नही, और मैं गवाही देता या देती हूंँ कि मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) उनके बंदे ओर उनके रसूल(पैगंबर) हैं।
अत्तहिय्यात या तशह्हुद की कुछ जरूरी बातें या हदीसें
- रसूलअल्लाह(सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया:- जब कोई बंदा नमाज में तशह्हुद या अत्तहिय्यात की दुआ 'व 'अला 'इबदिल्लाहिस-सालिहीन' तक पढ़़ लेता है, तो उसने हर अल्लाह के इबादत गुजार नेक बंदों को सलातो सलाम भेज दी चाहे वह आसमानों में हो या जमीन में।
- और उसके बाद जब अल्लाह का बंदा या बंदी "'अश-हदू 'अं-ला 'इलाहा 'इल्लल्लाहू व 'अश-हदू 'अन्ना मुहम्मदन 'अब्दुहु व रसूलुहु" पढ़ता है उसके बाद वह जो चाहे वह दुआ मांग सकता है। यानी कि अल्लाह का बंदा नमाज ही की हालत में इन शहादतों को पढ़ने केे बाद दरूदे इब्राहिम पढ़़कर दुआ कर सकता है या बिना पढ़े भी दुआ कर सकता है और "मुहम्मदन 'अब्दुहु व रसूलुहु" पर भी नमाज को खत्म कर सलाम फेर सकता है।
- अत्तहिय्यात कुरान का सूरह नहीं है लेकिन इब्न अब्बास फरमाते हैं कि अल्लाह के रसूल(सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम) हमें अत्तहिय्यात कुरान के सूूूूरह की तरह ही सिखाया करते थें।
- अब्दुल्लाह बिन मालिक बिन बुहैना अल-असदी फरमाते हैं- एक बार अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हमें जोहर की नमाज पढ़ा रहे थे, तब वह दूसरी रकात में सजदा करने के बाद सीधा खड़े हो गए जबकि उन्हें बैठना था तब उन्होंने आखिरी रकात में तशह्हुद या अत्तहिय्यात पढ़ा और सजदा सहू किया।
और अल्लाह बेहतर जानते हैं।
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