[15] हदीस ए कुदसी || बंदे का गुमान

  

[15] हदीस ए कुदसी | बंदे का गुमान

सहीह

अरबी:-

عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ قَالَ: قَالَ النَّبِيُّ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ :

يَقُولُ اللَّهُ تَعَالَى: أَنَا عِنْدَ ظَنِّ عَبْدِي بِي، وَأَنَا مَعَهُ إِذَا ذَكَرَنِي، فَإِنْ ذَكَرَنِي فِي نَفْسِهِ، ذَكَرْتُهُ فِي نَفْسِي، وَإِنْ ذَكَرَنِي فِي مَلَإٍ، ذَكَرْتُهُ فِي مَلَإٍ خَيْرٍ مِنْهُمْ، وَإِنْ تَقَرَّبَ إِلَيَّ بِشِبْرٍ، تَقَرَّبْتُ إِلَيْهِ ذِرَاعًا، وَإِنْ تَقَرَّبَ إِلَيَّ ذِرَاعًا، تَقَرَّبْتُ إِلَيْهِ بَاعًا، وَإِنْ أَتَانِي يَمْشِي، أَتَيْتُهُ هَرْوَلَةً"

رواه البخاري (وكذلك مسلم والترمذي وابن ماجه)


हिंदी:-

अबू हुरैरा(रज़िअल्लाहु अन्हु) ने बयान किया कि रसूलअल्लाह(सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया:
 
अल्लाह (सुब्हानहु व तआला) कहते हैं:- 
मैं वैसा ही हूँ जैसा मेरा बंदा मेरे बारे में सोच(गुमान) रखता है।  मैं उसके साथ हूँ जब वह मेरा जिक्र(याद) करता है।  अगर वह खुद में मेरा जिक्र करता है, तो मैं भी अपके आप मैं उसका जिक्र करता हूँ  और अगर वह किसी मजलिस में मेरा जिक्र करता है, तो मैं उस से बेहतर मजलिस में उसका जिक्र करता हूंँ।  और अगर वह मेरी तरफ एक बाजू बढ़ाता है तो मैं उसकी तरफ पूरा हाथ बढ़ाता हूंँ और अगर वह मेरी तरफ पूरा हाथ बढ़ाता है तो मैं उसकी तरफ दोनों हाथ बढ़ा देता हूँ। और अगर वह मेरे पास चलते-चलते आता है तो मैं उसके पास दौड़ते हुए जाता हूंँ।

 इसी वजह से हर एक बंदे या बंदी को अच्छे आमाल करने के साथ-साथ अल्लाह के बारे में सही गुमान भी रखना चाहिए कि मेरा रब बड़ा माफ करने वाला बड़ा रहम करने वाला है वह मेरे सारे गुनाहों को माफ कर देगा। 


यह हदीस अल बुखारी, अल मुस्लिम, अत्-त्रिमिजी और इब्न माजह ने बयान की है।


और अल्लाह बेहतर जानते हैं।

Post a Comment

0 Comments