[12] हदीस ए कुदसी | अल्लाह की दरियादिली
सहीह
सहीह
अरबी:-
عَنْ أَبِي مَسْعُودٍ الْأَنْصَارِيِّ، رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ:
حُوسِبَ رَجُلٌ مِمَّنْ كَانَ قَبْلَكُمْ، فَلَمْ يُوجَدْ لَهُ مِنْ الْخَيْرِ شَيْءٌ، إِلَّا أَنَّهُ كَانَ يُخَالِطُ النَّاسَ، وَكَانَ مُوسِرًا، فَكَانَ يَأْمُرُ غِلْمَانَهُ أَنْ يَتَجَاوَزُوا عَنْ الْمُعْسِرِ، قَالَ قَالَ اللَّهُ : نَحْنُ أَحَقُّ بِذَلِكَ مِنْكَ، تَجَاوَزُوا عَنْهُ"
رواه مسلم (وكذلك البخاري والنسائي)
عَنْ أَبِي مَسْعُودٍ الْأَنْصَارِيِّ، رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ:
حُوسِبَ رَجُلٌ مِمَّنْ كَانَ قَبْلَكُمْ، فَلَمْ يُوجَدْ لَهُ مِنْ الْخَيْرِ شَيْءٌ، إِلَّا أَنَّهُ كَانَ يُخَالِطُ النَّاسَ، وَكَانَ مُوسِرًا، فَكَانَ يَأْمُرُ غِلْمَانَهُ أَنْ يَتَجَاوَزُوا عَنْ الْمُعْسِرِ، قَالَ قَالَ اللَّهُ : نَحْنُ أَحَقُّ بِذَلِكَ مِنْكَ، تَجَاوَزُوا عَنْهُ"
رواه مسلم (وكذلك البخاري والنسائي)
हिंदी:-
अबू मसूद अल-अन्सारी(रज़िअल्लाहु अन्हु) ने बयान किया कि रसूल अल्लाह(सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया:
एक आदमी जो उनमें से था जो तुमसे पहले पैदा हुए थे उसे हिसाब के लिए बुलाया गया, तो उसमें कोई अच्छाई नहीं मिली सिवाय इसके कि वह लोगों से अच्छा व्यवहार(बर्ताव) रखता था और इसके साथ साथ वह अपने नौकरों को आदेश(हुक्म) देता था कि वे लोग जो तंग परिस्थितियों(हालात) में हो उन्हें छोड़ दो[अपने कर्ज को चुकाने से]। तो रसूल अल्लाह(ﷺ) ने फरमाया कि अल्लाह(सुब्हानहु व तआला) ने कहा: हम इस मामले में तुमसे ज्यादा दरिया दिल है।" इसे भी छोड़ दो"!
यह मुस्लिम और इसी तरह से अल-बुखारी और अन-नसाई ने बयान की है।
अबू मसूद अल-अन्सारी(रज़िअल्लाहु अन्हु) ने बयान किया कि रसूल अल्लाह(सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया:
एक आदमी जो उनमें से था जो तुमसे पहले पैदा हुए थे उसे हिसाब के लिए बुलाया गया, तो उसमें कोई अच्छाई नहीं मिली सिवाय इसके कि वह लोगों से अच्छा व्यवहार(बर्ताव) रखता था और इसके साथ साथ वह अपने नौकरों को आदेश(हुक्म) देता था कि वे लोग जो तंग परिस्थितियों(हालात) में हो उन्हें छोड़ दो[अपने कर्ज को चुकाने से]। तो रसूल अल्लाह(ﷺ) ने फरमाया कि अल्लाह(सुब्हानहु व तआला) ने कहा: हम इस मामले में तुमसे ज्यादा दरिया दिल है।" इसे भी छोड़ दो"!
यह मुस्लिम और इसी तरह से अल-बुखारी और अन-नसाई ने बयान की है।
और अल्लाह बेहतर जानते हैं।
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